विवेक पटाईत / कविता, ललित लेख इत्यादी
Marathi stories, kavita
Saturday, August 25, 2018
कविता: यात्री
धुक्यात उमटली
चित्रे काही
त्यास समजलो
नाती-गोती.
धुक्यातली नाती
धुक्यात विरली
जीवन यात्रा
एकट्याची.
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